बुधवार, 31 अगस्त 2016

राजा युधिष्ठिर का स्त्री जाती को शाप

राजा युधिष्ठिर की यह अवस्था देखकर कुंती शोकमग्र हो गई। चिंता छोड़ो मेरी बात सुनों मैंने और भगवान सूर्य ने पहले ही कर्ण को यह जताने की कोशिश की थी कि युधिष्ठिर आदि तुम्हारे भाई हैं। सूर्यदेव ने वह सब कहा- उन्होंने उसे स्वप्र में बहुत समझाया मेरे सामने भी समझाया लेकिन वह मौत के वशीभूत होकर बदला लेने को तैयार था। हम लोग अपने प्रयत्न में सफल न हो सके। वह मौत के वशीभूत होकर बदला लेने को तैयार था। इसलिए मैंने भी उसकी उपेक्षा कर दी। 

माता की बात सुनकर धर्मराज के नेत्रों में आंसू भर आए। वे शोक से व्याकुल होकर कहने लगे। मां तुमने यह रहस्यमयी बात छिपा रखी थी। इसलिए आज मुझे कष्ट भोगना पड़ता है। फिर उन्होंने दुखी होकर संसार की सभी स्त्रियों को शाप दे दिया कि आज से कोई भी स्त्री गुप्त बात को छिपाकर नहीं रख सकेगी। इसके बाद वे मरे हुए पुत्र-पुत्रों को याद करके रो पड़े। अर्जुन को देखकर कहने लगे अर्जुन यदि हम लोग भिक्षा मांगकर अपना गुजारा कर लेते तो आज हमें अपने वंश की यह दुर्गति नहीं भोगनी पड़ती।  

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